गाय एवं भैंस की नस्लें
A. देशी नस्लें
1. साहीवाल
प्राप्ति स्थानः पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान एवं आंशिक रूप से बिहार।
शारीरिक लक्षणः
• सिर लम्बा एवं लम्बाई में मध्यम।
• सींग छोटे एवं मोटे।
• रंग लाल या हल्का लाल।
• टांगें सीधी एवं छोटे आकार की।
दुग्ध उत्पादन क्षमताः औसतन प्रति ब्यांत 1134-3175 लीटर।
कीमतः लगभग 55-65 हजार रूपये।
2. थारपारकर
प्राप्ति स्थानः सिंध, कच्छ एवं माड़वाड़ आदि क्षेत्र।
शारीरिक लक्षणः
- चेहरा लम्बा
- सिर चौड़ा
- सींग मध्यम आकार का
- अच्छा कूबड़
- लम्बी पूँछ
दुग्ध उत्पादन क्षमताः औसतन प्रति ब्यांत 680-2268 लीटर।
कीमतः लगभग 40-45 हजार रूपये।
3. रेड सिन्धी
प्राप्ति स्थानः
मुख्य रूप से सिन्ध प्रान्त।
शारीरिक लक्षणः
- शरीर मध्यम आकार का
- रंग गहरा लाल या भूरा
- कभी कभी माथे पर सफेद धब्बे तथा गल कम्बल और पेट के नीचे भी सफेद धब्बे।
- मध्यम आकार के लटकते हुए कान एवं छोटे मजबूत सिंग।
- लटकता हुआ गलकम्बल एवं विकसित शीथ।
दुग्ध उत्पादन क्षमताः औसतन प्रति ब्यांत 683-2268 लीटर।
कीमतः लगभग 40-50 हजार रूपये।
4. गिर
- गीर, भारतीय मूल की गाय है।
- यह दक्षिण काठियावाड़ में पायी जाती है।
- यह गायें 12-15 साल जीवित रहतीं हैं।
- अपने पूरे जीवनकाल में 6-12 बछड़े उत्पन्न कर सकतीं हैं।
- इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में पाया जाता है।
- कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं।
- इसकी सबसे अनूठी विशेषता उनकी उत्तल माथे हैं जो इसको तेज धूप से बचाते हैं।
- यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पायी जाती है।
- मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है
- नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है।
- इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है।
- सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं।
- यह गाय अपनी अच्छी रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए भी जानी जाती है।
- यह नियमित रूप से बछड़ा देती है। पहली बार 3 साल की उम्र में बछड़ा देती है
- गिर गायों में थन अच्छी तरह विकसित होते हैं।
- यह गाय प्रतिदिन 12 लीटर से अधिक दूध देती है।
- गिर का एक बियान में औसत दुग्ध उत्पादन 1590 किलोग्राम है।
5. बछौर
प्राप्ति स्थानः बिहार का सीतामढ़ी जिला।
शारीरिक लक्षणः
• शरीर गठिला एवं पीठ सीधी।
• छोटी गर्दन।
• ललाट चौड़ा एवं चिपटा।
• आँखें बड़ी एवं स्पष्ट।
• सींग मध्यम आकार का।
• कान मध्यम एवं नीचे की तरफ गिरे हुए।
• पूँछ छोटी एवं मोटी।
• रंग भूरा/भूरा सफेद।
दुग्ध उत्पादन क्षमताः दुग्ध उत्पादन के लिए यह जाति उपयुक्त नहीं है। यह भारवाही किस्म की गो जाति है अर्थात् इसके बैल अच्छे होते हैं।
B. विदेशी नस्लें
1. होलस्टीन फ्रीजियन
प्राप्ति स्थानः यूरोपियन देश नीदरलैंड।
शारीरिक लक्षणः
- रंग काला एवं सफेद।
- कान मध्यम आकार का।
- सिर सीधा लम्बा एवं संकरा।
दुग्ध उत्पादन क्षमताः औसतन प्रति ब्यांत 6000-7000 लीटर।
कीमतः लगभग 45-60 हजार रूपये।
2. जर्सी
प्राप्ति स्थानः इंगलैण्ड के जर्सी प्रान्त में।
शारीरिक लक्षणः
- सिर, कन्धा एवं पीठ एक लाईन में होती है।
- रंग हल्का लाल या बादामी या भूरा होता है।
दुग्ध उत्पादन क्षमताः औसतन प्रति ब्यांत 4500 लीटर।
C. भैंस की प्रमुख नस्लें
भारत देश में भैंसो की निम्न नस्लें पायी जाती हैः
1. मुर्रा भैंस
प्राप्ति स्थानः यह नस्ल हरियाणा, दिल्लीं, आंशिक रूप से उत्तर प्रदेश एवं बिहार इत्यादि राज्यों में पाया जाता है।
शारीरिक लक्षणः
- इसका रंग काला, शरीर भारी, चमकदार
- मुड़े हुए सींग, हल्की गर्दन व सिर पतला, चिकनी, मुलायम एवं चमकीली त्वचा,
- शरीर पर बाल कम
- मादा पशुओं का शरीर आगे पतला और हल्का एवं पीछे का भारी तथा चौड़ा होता है।
दूध उत्पादन की क्षमता:औसतन 1360-2270 लीटर प्रति व्यांत
2. मेहसाना भैंस
प्राप्ति स्थानः यह नस्ल गुजरात के मेहसाना जिला में पाया जाता है।
शारीरिक लक्षणः
- इसका आकार मध्यम, काला रंग तथा सिर मुर्रा नस्ल के भैंस से मिलता जुलता है।
- गर्दन लम्बी, ललाट चौड़ा जिसके मध्य में थोड़ा गड्ढ़ा, चेहरा लम्बा और सीधा,
- थूथन चौड़ी एवं नथुने खुले हुए, सींग दंतार की शक्ल के एवं मुर्रा भैंस की अपेक्षा कम मुड़े हुए।
- मध्यम आकार के नोंकदार कान एवं अंदर बाल उगे हुए।
दूध उत्पादन की क्षमता: औसतन प्रति व्यांत 1800-2700 लीटर है।
मेहसाना मेहसाना
3. जाफराबादी भैंस
प्राप्ति स्थानः यह नस्ल काठियाबाड़ तथा जाफराबाद के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है।
शारीरिक लक्षणः गलकम्बल पूर्ण विकसित। इसका सिर और गर्दन भारी तथा ललाट उभरा हुआ होता है।
सींग भारी एवं गर्दन की ओर मुड़े हुए होते हैं।
औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता : 1300-1400 लीटर है।
4. भदावरी भैंस
प्राप्ति स्थानः यह नस्ल उत्तर प्रदेश के आगरा, ग्वालियर तथा इटावा जिलों के आस-पास के क्षेत्रों में पाया जाता है।
शारीरिक लक्षणः
इसका रंग ताँबे जैसा, सफेद गुच्छेदार लम्बी पूँछ, सींग चपटे, मोटे पीछे की ओर मुड़कर ऊपर अंदर की ओर मुड़ा हुआ होता है।
अयन छोटे, जिसपर शिराएँ उभरी होती है।
दूध उत्पादन की क्षमता : औसतन प्रति व्यांत 1100-1300 लीटर है।
5. नीली रावी भैंस
नील-रवि को पंच कल्याणी के रूप में भी जाना जाता है।
प्राप्ति स्थानः नील-रावी भैंसों का घर मार्ग अविभाजित पंजाब प्रांत की सतलुज और रावी नदियों के बीच की बेल्ट है।
- दरअसल नीली और रवि दो अलग-अलग नस्लें थीं, लेकिन समय बीतने के साथ और सघन क्रॉसब्रेजिंग के कारण, दो नस्लों को एक ही नस्ल में परिवर्तित कर दिया गया, जिसका नाम नील-रवि था।
- भारतीय पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिलों और लाहौर, शेखूपुरा, फैजाबाद, ओकोरा, साहीवाल, मुल्तान, बोहावलपुर और पाकिस्तान के बहवलनगर जिलों में प्रमुख रूप से नील-रवि भैंस पाए जाते हैं।
- माना जाता है कि नील नदी का नाम सतलुज नदी के नीले पानी से पड़ा है। इस नस्ल के जानवरों की पहचान करना बहुत आसान है।
शारीरिक लक्षणः
- नीली रावी की आँखें और माथे, चेहरे, थूथन, पैर और पूंछ पर सफेद निशान होते हैं।
- मादा का सबसे वांछित चरित्र “पंच कल्याणी” के रूप में जाना जाने वाले इन सफेद चिह्नों का कब्ज़ा है। रंग को छोड़कर सभी पहलुओं में पशु अच्छे दूध देने वाले और मुर्राह के समतुल्य हैं।
- भैंस का औसत दूध उत्पादन 6.8% वसा के साथ 1850 किलोग्राम है।
दूध उत्पादन की क्षमता: दुग्ध पैदावार 1586 से 1929 किलोग्राम तक होती है।
6. सूरती भैंस
प्राप्ति स्थानः गुजरात आणंद, करैरा और बड़ौदा जिले
शारीरिक लक्षणः
- वह सुरती भैंस मध्यम आकार का और विनम्र स्वभाव का है।
- सींग के बीच में शीर्ष पर एक उत्तल आकृति के साथ नस्ल को काफी व्यापक और लंबा सिर मिला है। सींग सिकल के आकार के और सपाट होते हैं जो नीचे और पीछे की दिशा में बढ़ते हैं और फिर ऊपर की तरफ एक हुक बनाते हैं।
- त्वचा काली या भूरी है।
- सुरती नस्ल को एक सीधी सीधी पीठ मिल गई है।
- अच्छे नमूनों में दो सफेद कॉलर होते हैं।
- औसत बजन 408 किलो, ऊंचाई पुरुष: 130 सेमी, महिला: 125 सेमी
प्रजनन अवधि: – मौसमी (अप्रैल से सितंबर)
औसत दूध उत्पादन: -1900-22000 किग्रा, वसा: – 7 -7.5 %, एसएनएफ: – 9 -9.15 %
देशी नस्ल की गाय क्यों पालें ?
- देशी नस्ल हमारे वातावरण के अनुकूल है।
- देशी नस्ल में कई बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विदेशी नस्ल के अपेक्षा ज्यादा है।
- देशी नस्ल की दूध (A2 MILK) की गुणबत्ता विदेशी नस्ल की दूध (A1 MILK) के अपेक्षा श्रेष्ठ है।
- देशी नस्ल की दूध फैट परसेंटेज विदेशी नस्ल की दूधके अपेक्षा अधिक है।
ए 2 दूध क्या है ?
- बीटा-कैसिइन, जो दूध प्रोटीन का 30% बनाता है, दो रूपों में मौजूद है: A 1 और A 2।
- A 2 दूध में केवल बीटा-कैसिइन प्रोटीन का A 2 वैरिएंट होता है।
- A2 दूध A1 दूध की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है।
- अधिकांश देसी गाय और भैंस की नस्लें A 2 दूध देती हैं। A2 दूध मानव के लिए पचाने में आसान है, स्वास्थ्य में सुधार करता है और कुछ बीमारियों के लिए जोखिम को कम करता है।
- अल्फा -2 कैसिइन प्रोटीन से भरपूर होता है, जिसका अर्थ है कि यह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
- अधिकांश देसी गाय और भैंस की नस्ल में A 2 एलील जीन होता है।
- दूसरे शब्दों में, देसी पशुओं की नस्लों के दूध का 100 प्रतिशत A 2 एलील होता है जो इसे पोषक तत्वों से समृद्ध बनाता है और विदेशी मवेशियों की नस्लों के दूध की तुलना में बहुत अधिक स्वस्थ होता है।
- नेशनल ब्यूरो ऑफ़ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज (NBAGR), करनाल द्वारा किए गए अध्ययन ने भारतीय नस्लों में A 2 दूध की श्रेष्ठता स्थापित की है।
- हाल ही में 22 देसी नस्लों को स्कैन करते हुए एक विस्तृत अध्ययन में, यह पाया गया कि पांच उच्च दूध उत्पादन वाले नस्लों में A 2 एलील 100% उपलब्ध है – लाल सिंधी, गिर, राठी, शाहीवाल और थारपारकर ।
- शेष नस्लों में, A 2 एलील जीन की उपलब्धता 94% थी।
- तुलनात्मक रूप से, विदेशी नस्लों जर्सी और होलस्टीन फ्रेशियन में, A 2 एलील जीन की उपलब्धता बहुत कम है।